Amazon cover image
Image from Amazon.com

Anuvad ka naya vimarsh

By: Material type: TextTextLanguage: Hindi Publication details: Prayagraj Lokbharti Prakashan 2020Edition: 1stDescription: 142 pISBN:
  • 9788194364832
Subject(s): DDC classification:
  • 891.43 SHR
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Call number Status Date due Barcode
Books Books Jawaharlal Nehru Library Available 392409
Books Books Jawaharlal Nehru Library Available 392410

प्रस्तुत पुस्तक अनुवाद को विशुद्ध भाषा संवाद मानने की प्रचलित मान्यता से प्रस्थान का विमर्श है। यह अनुवाद को दो भाषाभाषी समाजों और सभ्यताओं में भाषिक अपरिचय के बरअक्स परिचय एवं संवाद का सेतु मानने, विकास की दौड़ में पिछड़े समाजों की आवाज मानने और सभ्यता संवाद मानने का तार्किक घोषणा पत्र है। इसमें अनुवाद को किसी भाषा रचना की दूसरी भाषा में पुनर्रचना मानने और इस तरह उसे रचना का अनश्वर उद्यम मानने की मुकम्मल तर्क - रचना भी है। इस विमर्श में अनुवाद को सृजन का अनुसृजन बनाने की संस्तुति और तर्क का ताप यत्र-तत्र-सर्वत्र है। इस पुस्तक को पढ़ना समय के संघात से रू-बरू होना और अनुवाद के वैभव को समग्रता में समझना है। साथ ही भूमंडलीकरण, सूचना विस्फोट और बाजारवाद के दौर में मानवीय आकांक्षा, भाषा एवं राजनीति के रिश्ते तथा सरोकार को समझना और अपनी पक्षधरता को बेबाक व तलस्पर्शी बनाना भी है। प्रशासनिक तथा तकनीकी अनुवाद को सरल, सहज एवं सर्जनात्मक बनाने के लिए जिरह करती यह पुस्तक, अपने तर्क एवं विमर्श से अनुवादवेत्ताओं, विशेषज्ञों और सुधि अध्येताओं के बीच समान रूप से समादृत होगी।.

There are no comments on this title.

to post a comment.
Designed & Maintained by : APPSPOTSOFTWARE Jawaharlal Nehru Library Contact: library@dhsgsu.edu.in © 2024. All Rights Reserved.