Mahaveer Prasad Dwivedi Aur Hindi Navjagaran
Material type:
- 8126703753
- 891. 430 09 RAM M
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | |
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Jawaharlal Nehru Library | Available | 392529 | |||
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Jawaharlal Nehru Library | Available | 392530 |
द्विवेदी जी ने अपने साहित्यिक जीवन में सबसे पहले अर्थशास्त्र का गहन अध्ययन किया और बड़ी मेहनत से 'संपत्ति शास्त्र' नामक पुस्तक लिखी | इसीलिए द्विवेदी जी बहुत-से ऐसे विषयों पर टिप्पणियाँ लिख सके जो विशुद्ध साहित्य की सीमाएँ लाँघ जाति हैं | इसके साथ उन्होंने राजनीतिक विषयों का अध्ययन किया और संसार में हो रही राजनीतिक घटनाओं पर लेख लिखे | राजनीति और अर्थशास्त्र के साथ उन्होंने आधुनिक विज्ञानं से परिचय प्राप्त किया और इतिहास तथा समाजशास्त्र का अध्ययन गहराई से किया | इसके साथ भारत के प्राचीन दर्शन और विज्ञानं की ओर ध्यान दिया और यह जानने का प्रयत्न किया कि हम अपने चिंतन में कहाँ आगे बढे और कहाँ पिछड़े हैं | परिणाम यह हुआ कि हिंदी प्रदेश में नवीन सामाजिक चेतना के प्रसार के लिए वह सबसे उपयुक्त व्यक्ति सिद्ध हुए | उनके कार्य का मूल्याङ्कन व्यापक हिंदी नवजागरण के सन्दर्भ में ही संभव है | डॉ. रामविलास शर्मा द्वारा रचित इस कालजयी पुस्तक के पांच भाग हैं | पहले भाग में भारत और साम्राज्यवाद के सम्बन्ध में द्विवेदी जी ने और 'सरस्वती' के लेखकों ने जो कुछ कहा है, उसका विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है | दूसरे भाग में रूढ़ीवाद से संघर्ष, वैज्ञानिक चेतना के प्रसार और प्राचीन दार्शनिक चिंतन के मूल्याङ्कन का विवेचन है | तीसरे भाग में भाषा-समस्या को लेकर द्विवेदी जी ने जो कुछ लिखा है, उसकी छानबीन की गई है | चौथे भाग में साहित्य-सम्बन्धी आलोचना का परिचय दिया गया है | पांचवे भाग में द्विवेदी-युग के साहित्य की कुछ विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है | बहुत-सी समस्याएँ जो द्विवेदी जी के समय में थीं, आज भी विद्यमान हैं | इसीलिए आज के संदर्भ में भी इस पुस्तक की सार्थकता और उपयोगिता अक्षुण्ण है |
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