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Vajood Aurat Ka : Stri Vimarsh Pratinidhi Paath

By: Material type: TextTextLanguage: Hindi Publication details: New Delhi Rajkamal Prakashan 2020Description: 327 pISBN:
  • 9389577098
Subject(s): DDC classification:
  • 891.434 GLO V
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Books Books Jawaharlal Nehru Library Available 392649
Books Books Jawaharlal Nehru Library Available 392650

दुनिया की सर्वाधिक प्रतिष्ठित नारीवादी लेखिका ग्लोरिया स्टायनेम ने अपने कुछ शुरुआती साल भारत में बिताए हैं। जिस दौरान ग्लोरिया भारत में थीं, वे इस गाँधीवादी विचार से प्रभावित हुईं कि परिवर्तन को हमेशा एक वृक्ष की तरह नीचे से ऊपर की ओर बढऩा चाहिए। इसके बाद, अमेरिका और विश्व-भर के नारीवादी आंदोलनों के लिए किए गए अपने कई दशकों के काम से उन्होंने सीखा कि कर्ता और कारक, शासक और शासित, 'मर्द’ और 'औरत’ के रूप में मनुष्यों के झूठे बँटवारे की आड़ में हिंसा और वर्चस्व का सामान्यीकारण किया जाता रहा है। 'वजूद औरत का’ में, ग्लोरिया स्टायनेम और एक्टिविस्ट रुचिरा गुप्ता ने साथ मिलकर ग्लोरिया के कुछ अभूतपूर्व निबंधों का एक चुनिन्दा संग्रह बनाया है। ये वे निबंध हैं जो अपने लिखे जाने के बाद से, सीमाओं से बेपरवाह दुनिया-भर में पहुँच गए और आधुनिक नारीवादी विचारों के एक बड़े हिस्से के लिए नींव तैयार की। इन पन्नों में, ग्लोरिया ने यह सच्चाई खोल कर रख दी है कि स्त्री शरीर पर नियंत्रण के ज़रिए ही नस्लीय और जाति और वर्ग आधारित भेद-भाव अपनी जड़ें जमाए हुए हैं—ग्लोरिया यह भी बताती हैं कि किन-किन तरहों से स्त्री और पुरुष इस नियंत्रण के लिए आपस में लड़ रहे हैं। वह बड़े ही शानदार ढंग से पुरुषत्व के प्रति अडोल्फ़ हिटलर की सनक का विश्लेषण करती हैं और उसके व्यक्तित्व में जड़ें जमाते हुए हिंसा के लैंगिक विचार को उभरता हुआ पाती हैं। उन्होंने कामुक साहित्य (इरोटिका) और पोर्नोग्राफ़ी के अंतर को समझाया है और स्पष्ट किया है कि यह अंतर दोनों लिंगों के मध्य संबंधों को नियंत्रित करने वाली असमानता के कारण पैदा होता है। एक प्लेबॉय बनी के रूप में बिताए गए कुछ दिनों के अपने मार्मिक अनुभव के अलावा इस किताब में ग्लोरिया द्वारा देहव्यापार के लिए की जाने वाली मानव तस्करी पर लिखा गया और अब तक अप्रकाशित निबंध 'तीसरी राह’ भी शामिल है। 'वजूद औरत का’ एक अध्ययनशील नज़रिए से लिखी गई किताब है जिसमें काफ़ी गहराई है। इस किताब को ऐसे अंदाज़ में लिखा गया है कि इसमें मौजूद जटिल बहसें भी सहजता के स्पर्श के कारण पढऩे वाले को एकदम सरल रूप में समझ आती हैं। इस संग्रह में आपको नए विचार, ग़ुस्सा, गंभीरता और हँसी और एक दोस्त, सबकुछ मिलेगा।

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