Mahatma Jotiba Phule Rachanawali
Meshram , L. G. 'Vimalkirti'
Mahatma Jotiba Phule Rachanawali - Delhi Radhakrishna Prakashan 2021 - 383 p.
यह किताब जोतिबा फुले (जोतीराव गोविंदराव फुले : 1827-1890) की सम्पूर्ण रचनाओं का संग्रह है ! सन 1855 से सन 1890 तक उन्होंने जितने ग्रंथो की रचना की, सभी को इसमें संगृहीत किया गया है ! उनकी पहली किताब 'तृतीय रत्न' (नाटक) सन 1855 में और अंतिम 'सार्वजानिक सत्यधर्म' सन 1891 में उनके परिनिर्वाण के बाद प्रकाशित हुई थी ! जोतीराव फुले की कर्मभूमि महाराष्ट्र रही है ! उन्होंने अपनी साडी रचनाएँ जनसाधारण की बोली मराठी में लिखीं ! उनका कार्य और रचनाएँ अपने समय में भी विवादस्पद रहीं और आज भी हैं ! लेकिन उनका लेखन हर पीढ़ी में सामाजिक क्रांति की चेतना जगाता रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं ! उनकी यह रचनावली उनके कार्य और चिंतन का ऐतिहासिक दस्तावेज है !
8171197310
HIndi
891.438 / MEH M
Mahatma Jotiba Phule Rachanawali - Delhi Radhakrishna Prakashan 2021 - 383 p.
यह किताब जोतिबा फुले (जोतीराव गोविंदराव फुले : 1827-1890) की सम्पूर्ण रचनाओं का संग्रह है ! सन 1855 से सन 1890 तक उन्होंने जितने ग्रंथो की रचना की, सभी को इसमें संगृहीत किया गया है ! उनकी पहली किताब 'तृतीय रत्न' (नाटक) सन 1855 में और अंतिम 'सार्वजानिक सत्यधर्म' सन 1891 में उनके परिनिर्वाण के बाद प्रकाशित हुई थी ! जोतीराव फुले की कर्मभूमि महाराष्ट्र रही है ! उन्होंने अपनी साडी रचनाएँ जनसाधारण की बोली मराठी में लिखीं ! उनका कार्य और रचनाएँ अपने समय में भी विवादस्पद रहीं और आज भी हैं ! लेकिन उनका लेखन हर पीढ़ी में सामाजिक क्रांति की चेतना जगाता रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं ! उनकी यह रचनावली उनके कार्य और चिंतन का ऐतिहासिक दस्तावेज है !
8171197310
HIndi
891.438 / MEH M