Premchand
Material type:
- 9789392228773
- 891.430 93 RAM P
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | |
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Jawaharlal Nehru Library | Available | 392351 | |||
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Jawaharlal Nehru Library | Available | 392352 |
प्रेमचन्द को पढ़ना गुलाम भारत के मानस को पढ़ना है, उसकी कशमकश को, ‘स्वराज्य’ सम्बन्धी उसकी चिन्ताओं और दुश्चिन्ताओं को, किसान और किसानियत तथा उससे जुड़ी तमाम परेशानियों को चीन्हना है। इस पुस्तक में आलोचक रामबक्ष जाट बताते हैं कि अपनी आरम्भिक रचनाओं में प्रेमचन्द एक उत्साही युवा की तरह राष्ट्र-निर्माण के अपने स्वप्न हमसे साझा करते हैं तो अन्तिम दौर की अपनी रचनाओं में वे एक परिपक्व प्रौढ़ की तरह राष्ट्र-निर्माण के बुनियादी और जरूरी सवालों से हमें जोड़ते हैं।
About Author
रामबक्ष जाट
जन्म : 4 सितम्बर, 1951, राजस्थान के एक छोटे से गाँव चिताणी, जिला नागौर के एक किसान परिवार में।
शिक्षा : प्राथमिक शिक्षा सेनणी और रूण में। आगे की शिक्षा जोधपुर और पीएच.डी. नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई।
अध्यापन : महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक सहित भारत के चार विश्वविद्यालयों में अध्यापन कार्य किया। वर्ष 2012 से 2014 तक भारतीय भाषा केन्द्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अध्यक्ष रहे। स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम से लेकर इग्नू के पाठ्यक्रम निर्माण का अनुभव।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की महत्त्वाकांक्षी ई-लर्निंग परियोजना ईपीजी पाठशाला में हिन्दी पाठ्यक्रमों के प्रधान निरीक्षक।
लेखन : अनेक शोधपत्रों सहित कई आलोचनात्मक ग्रंथों का लेखन जिनमें प्रेमचंद और भारतीय किसान, दादूदयाल और समकालीन हिन्दी आलोचक और आलोचना मुख्य है। चर्चित पुस्तक मेरी चिताणी (संस्मरणपरक गद्य) की रचना।
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