Uttari Bharat Ki Sant Parampara
Material type:
- 9789389243215
- 294.50954 PAR
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | |
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Jawaharlal Nehru Library | Available | 392440 | |||
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Jawaharlal Nehru Library | Available | 392441 |
उत्तरी भारत की संत-परम्परा यह कृति आचार्य श्री परशुराम चतुर्वेदी जी की साहित्यिक साधना की वह अनन्यतम् प्रस्तुति है, जिसके समानान्तर आज साठ वर्ष के बाद भी हिन्दी साहित्य के अन्तर्गत वैसी कोई दूसरी रचना सामने नहीं आ सकी है। संत साहित्य के उद्भव से जुड़े अनेक प्रक्षिप्त मतों का खण्डन करते हुए उसके मूल प्रामाणिक प्रेरणास्रोतों को प्रकाश में ले आकर श्री चतुर्वेदी जी ने उसकी अखण्डता का जो अपूर्व परिचय प्रस्तुत किया है, वह हमारी साहित्यिक मान्यताओं से जुड़ी शोध-परम्परा का सर्वमान्य ऐतिहासिक साक्ष्य है। परवर्ती काल में यह संत साहित्य उत्तर भारत के बीच पर्याप्त रूप से समृद्ध हुआ किन्तु इसके प्रेरणासूत्र समग्र भारतीयता से सम्बद्ध है। महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, बंगाल, आसाम, पंजाब आदि राज्यों में पैले हुए इसके प्रारम्भिक तथा परवर्ती सूत्र इस तथ्य के प्रमाण हैं कि यह जन आन्दोलन के रूप में समग्र भारतीय लोक जीवन से जुड़ा रहा है। संत नामदेव, ज्ञानदेव, नानक, विद्यापति, कबीरदास, दादू आदि संतों ने अपनी संतवाणी से समग्र भारत की एकता, अखण्डता को जोड़ते हुए हमें अंधविश्वासों एवं रूढ़ मान्यताओं से मुक्त किया है। आचार्य श्री परशुराम चतुर्वेदी जी की यह कृति इन तथ्यों की प्रस्तुति का सबसे प्रामाणिक और सबसे सशक्त दस्तावे़ज है। आचार्य श्री चतुर्वेदी की इस ऐतिहासिक धरोहर को पुन: के समक्ष रखते हुए हम गर्व का अनुभव करते हैं और आशा करते हैं कि पाठक समाज आज पुन: पूर्ववर्त् निष्ठा के साथ स्वीकार करेगा।.
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