Local cover image
Local cover image

Mahaveer Prasad Dwivedi Aur Hindi Navjagaran

By: Material type: TextTextLanguage: Hindi Publication details: Delhi Rajkamal Prakashan 2024Description: 431 pISBN:
  • 8126703753
Subject(s): DDC classification:
  • 891. 430 09 RAM M
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Call number Status Date due Barcode
Books Books Jawaharlal Nehru Library Available 392529
Books Books Jawaharlal Nehru Library Available 392530

द्विवेदी जी ने अपने साहित्यिक जीवन में सबसे पहले अर्थशास्त्र का गहन अध्ययन किया और बड़ी मेहनत से 'संपत्ति शास्त्र' नामक पुस्तक लिखी | इसीलिए द्विवेदी जी बहुत-से ऐसे विषयों पर टिप्पणियाँ लिख सके जो विशुद्ध साहित्य की सीमाएँ लाँघ जाति हैं | इसके साथ उन्होंने राजनीतिक विषयों का अध्ययन किया और संसार में हो रही राजनीतिक घटनाओं पर लेख लिखे | राजनीति और अर्थशास्त्र के साथ उन्होंने आधुनिक विज्ञानं से परिचय प्राप्त किया और इतिहास तथा समाजशास्त्र का अध्ययन गहराई से किया | इसके साथ भारत के प्राचीन दर्शन और विज्ञानं की ओर ध्यान दिया और यह जानने का प्रयत्न किया कि हम अपने चिंतन में कहाँ आगे बढे और कहाँ पिछड़े हैं | परिणाम यह हुआ कि हिंदी प्रदेश में नवीन सामाजिक चेतना के प्रसार के लिए वह सबसे उपयुक्त व्यक्ति सिद्ध हुए | उनके कार्य का मूल्याङ्कन व्यापक हिंदी नवजागरण के सन्दर्भ में ही संभव है | डॉ. रामविलास शर्मा द्वारा रचित इस कालजयी पुस्तक के पांच भाग हैं | पहले भाग में भारत और साम्राज्यवाद के सम्बन्ध में द्विवेदी जी ने और 'सरस्वती' के लेखकों ने जो कुछ कहा है, उसका विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है | दूसरे भाग में रूढ़ीवाद से संघर्ष, वैज्ञानिक चेतना के प्रसार और प्राचीन दार्शनिक चिंतन के मूल्याङ्कन का विवेचन है | तीसरे भाग में भाषा-समस्या को लेकर द्विवेदी जी ने जो कुछ लिखा है, उसकी छानबीन की गई है | चौथे भाग में साहित्य-सम्बन्धी आलोचना का परिचय दिया गया है | पांचवे भाग में द्विवेदी-युग के साहित्य की कुछ विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है | बहुत-सी समस्याएँ जो द्विवेदी जी के समय में थीं, आज भी विद्यमान हैं | इसीलिए आज के संदर्भ में भी इस पुस्तक की सार्थकता और उपयोगिता अक्षुण्ण है |

There are no comments on this title.

to post a comment.

Click on an image to view it in the image viewer

Local cover image
Designed & Maintained by : APPSPOTSOFTWARE Jawaharlal Nehru Library Contact: library@dhsgsu.edu.in © 2024. All Rights Reserved.