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Hindi Aalochana Ka Punah Path

By: Material type: TextTextLanguage: Hindi Publication details: Allahabad Lokbharti Prakashan 2019Description: 298 pISBN:
  • 9388211758
Subject(s): DDC classification:
  • 891.430 8 KAI H
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Books Books Jawaharlal Nehru Library Available 392679
Books Books Jawaharlal Nehru Library Available 392680

हिब्दों आलोचना के इस पुन: पाठ में आलोचना को लेकर उठनेवाली भोली जिज्ञासाओं का अत्यन्त संवेदनशीलता से दिया गया उत्तर मौजूद है । हिंन्दी में आलोचना के लिए समालोचना और समीक्षा शब्द चलते है । इसको लेकर कभी-कभी भ्रम की स्थिति होती है । किताब की शुरूआत ही इस भ्रम के निराकरण से हुई है । आलोचना, समालोचना और समीक्षा की व्युत्पत्ति और उनके बीच के बारीक अन्तर पर विचार किया गया है । आलोचना और रचना का सम्बन्ध, आलोचक के दायित्व, आलोचक के कार्य, आलोचना की जरूरत या उपयोगिता, आलोचना के मान ही नहीं बल्कि आलोचक बनने के लिए आवश्यक योग्यता क्या होनी चाहिए यह सब इस किताब में मिल जायेगा । यह पुस्तक तीन पर्वो में प्रस्तुत है । पहले पर्व में आलोचना की अवधारणा, आधुनिक हिन्दी आलोचना की आरम्भिक स्थिति, आलोचना के विविध प्रकार से लेकर हिन्दी आलोचना की वर्तमान स्थिति का लेखा-जोखा मौजूद है । पुस्तक केवल आलोचक और आलोचना का महिमा-मण्डन ही नहीं करती बल्कि उस महिमा को बनाये और बचाये रखने के गुण-सूत्रों की खोज भी करती है । पुस्तक के द्वितीय पर्व में हिंन्दी ओलाचना के शिखरों यथा रामचन्द्र शुक्ल, हजारीप्रसाद द्विवेदी, डॉ. नरेन्द्र, नन्ददुलारे बाजपेयी, रामविलास शर्मा और नामवर सिह आदि के अवदान का आकलन किया गया है । इसी प्रकार तीसरा पर्व हिन्दी आलोचना के विविध संदर्भ जैसे आलोचना के सरोकार, नयी सदी में हिंदी आलोचना, ओलोचना प्रक्रिया आदि पर विचार किया गया है ।

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