Samudayik Sangthan
Material type:
- 9788131609620
- Community Organization
- 307.14
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | |
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भारत में संगठन की प्रचलित धारणाओं से आगे बढ़कर प्रस्तुत पुस्तक में यह दर्शाया गया है कि समुदायिक संगठन द्वारा समुदाय की विद्यमान स्थितियों के परिप्रेक्ष्य में सेवार्थियों का कल्याण ही नहीं किया जाता है वरन् एक कदम और आगे बढ़कर आवश्यकतानुसार समुदाय की परिस्थितियों में बदलाव लाकर सेवार्थियों का पूर्ण कल्याण किया जाता है। इसी परिप्रेक्ष्य में समुदाय की वैचारिक पृष्ठभूमि में रैडिकल सोशल वर्क की विषद विवेचना की गई है। पुस्तक में समुदायिक संगठन के दर्शन के सम्बन्ध में अद्वितीय तथ्य प्रस्तुत करने के साथ-साथ समुदायिक संगठन के सिद्धांतों को भी एक नये कलेवर में प्रस्तुत किया गया है। हमारा विश्वास है कि भारतीय परिवेश में समुदायिक संगठन के सम्बन्ध में इस स्तर की पुस्तक अंग्रेजी या हिन्दी भाषा में अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है।
Contents
• सामुदायिक संगठन का अर्थ एवं परिभाषा
• सामुदायिक संगठन की वैचारिक पृष्ठभूमि
• सामुदायिक संगठन का इतिहास
• समाज कार्य की एक प्रणाली के रूप में सामुदायिक संगठन
• सामुदायिक कार्य की प्रक्रिया और क्षेत्र
• सामुदायिक संगठन की विधियां एवं चरण
• सामुदायिक संगठन के प्रारूप
• सामुदायिक संगठन के कुछ तात्कालिक आयाम
• सामुदायिक संगठन के अंगभूत
• सामुदायिक संगठन के सिद्धान्त
• सामुदायिक संगठन के उद्देश्य
• सामुदायिक संगठन का दार्शनिक पक्ष
• सामुदायिक कार्य की निपुणतायें
• सामुदायिक पेटिकायें एवं सामाजिक अभिकरणों की परिषद्
• सामुदायिक संगठन में संगठनकर्ता की भूमिका
• समुदाय
• सामुदायिक विकास
• सामुदायिक संगठन एवं सामाजिक क्रिया
• गरीबी निवारण कार्यक्रम एवं सामुदायिक संगठन
• सामुदायिक संगठन : एक केस स्टडी
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