Kalpana Verma

Stri Vimarsh : Vividh Pahlu - Preyagraj Lokbharti Prakashan 2019 - 297 p.

इम पर देह के इल्जाम बहुत हैं। इम देह दिखाते हैं, हम देह को इस्तेमाल करते हैं, उसका पैसा वसूलते हैं । इस तकनीकी चुग में हम देह लेकर आ रहे है । यह अन्याय है, नाइंसाफी है हमारे साथ । क्योकिं हमसे ऐसा कहा जा रहा है, तो जरा सोच लिया जाय कि हम पर क्या बीत रही होगी ! हम देह दिखाना चाहते हैं या उसका पैसा वसूल रहे है उससे पहले हम अपनी देह को आपकी देह से बचाना चाह रहे है । सारी समस्या तो आपकी देह की है, हमारी देह की कोई समस्या नहीं है । किसने देह का आकर्षण दिखाया! आपके कवियों ने, आपके गीतकारों ने, आपके कहानीकारों ने । क्यों रीझे थे उस पर हैं? सारे व्रत बनाये आपके पक्ष में, अपने पक्ष में तो हमने एक भी व्रत नहीं रखा । यह करवाचौथ हमारी वफादारी का लाइसेंस है जो हमें हर साल रिन्यु करमा पड़ता है । हमारे सभ्य पुरुष तो एक-एक पग पर निगाह रखते है कहाँ जा रही है, किस-किस से बात की, फोन पर किससे हँसी? आपको ये छोटे-छोटे बन्धन लगते होंगे, पर हमारी तो साँस रोक देते हैं । हम न तो सती हैं, न देती । हम तो औरते है । सती वह है जो जौहर करे या चमत्कार करे । देवी पत्थर में है, न चलती है, न फिरती है, उसे चाहे पूज लो या गंगा में सिरा तो । इसलिए महत्त्व देना बहुत आसान है, बराबरी देना बहुत कठिन है । हमें महत्त्व तब दिया गया जब जैसा पुरुष ने चाहा। जहाँ हमने अपनी मर्जी चलायी है हम बदचलन हुए, इम वेश्या हुए। परिवार कितना भी बडा क्यो न हो, उसकी इज्जत का झंडा हमेशा लड़की, औरत की पीठ, पर गडा रहता है| बताये गये नियमों से लड़की के जरा-सा इधर-उधर होने से इज्जत चली जाती है | मैं पूछती हूँ कि इज्जत इतनी कच्ची क्यों है? -मैत्रेयी पुष्पा

9789388211796


Hindi

891.430 935 204 2 / KAL S